Tuesday, December 16, 2014

श्रद्धांजलि -अम्मा को वशिनी की ओर से



अम्मा !
एक संघर्षमय जीवन ,सतत कर्मठ और सिद्धांतप्रिय व्यक्तित्व !
91 वर्ष एक लंबा सरल जीवन !
कभी सामान्य माँ नहीं लगी क्योंकि जीवन मूल्य और संतानों को सही इंसान बनाना सर्वोपरि रहा ।
पिताजी के आदर्शों का उनकी मृत्यु के 44 साल तक निर्वाह करती रहीं ।हिंदी और आर्य समाज उनके लिए जीवन मूल्य बने !
नानाजी ने 5 वर्षीय सत्यवती को जो गुरुकुल हाथरस भेजा वो 16 साल होने पर स्नातिका बन लौटी और विवाह के बाद वाजिनी बन गई ।बाद में तीन और बहनें भी गुरुकुल पढ‌ने गईं !उन दिनों आर्यसमाज की विचार धारा से प्रभावित अभिभावकों ने अपनी कन्याओं को शिक्षा प्राप्ति के लिए सुदूर उत्तर भेजा ।
पर अपनी संतानों की उच्च शिक्षा में उनके सिद्धांत कभी बाधक नहीं बने ।
एक भरा-पूरा परिवार नाती-पोते और परनाती -परपोते उनके वंश बेल को आगे बढा‌ रहे हैं ।
एक आदर्श जीवन का अध्याय समाप्त हुआ ।
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।
वशिनी

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